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पिपरमेंट की खेती, 3 महीने में तैयार होने वाली सबसे अच्छी फसल। इससे किसान को मिलेगा भारी लाभ

भारत में फसले 3 प्रकार की होती है खरीफ, रबी और जायद इन्हीं 3 फसलों के अंतर्गत भारत में खेती की जाती है। क्योंकि भारत में मौसम का पलटवार देखने को अक्सर मिला करता है। इस पोस्ट में हम जानेंगे कि पिपरमेंट की खेती कैसे की जाती है। इसमें कितना फायदा होता है। और कितनी लागत लगती है।

पिपरमेंट की खेती के लिए मिट्टी

पिपरमेंट की खेती के लिए मिट्टी बलुई दोमट और मटियारी दोमट मिट्टी अच्छी होती है।इसके अलावा मिट्टी में पर्याप्त जैविक तत्व होने चाहिए जिसका पी एच मान 6.0 से7.5 तक होना चाहिए । और खेत में किसी भी हानिकारक जैविक पदार्थ या मिट्टी जली हुई नहीं होनी चाहिए। तभी पिपरमेंट यानी मेंथा की खेती करके किसान अच्छा पैसा छाप सकते है। और मेहनत को सफल बना सकते है।

पिपरमेंट की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी कैसे करे।

पिपरमेंट यानी मेंथा की खेती के लिए कुल पानी..

पिपरमेंट की खेती में लगभग 8 से 9 पानी लगते है। और प्रत्येक पानी में मिट्टी को मजबूत बनाने के एग्रीटेक खादे भी डाली जाती है। जिससे पौधा अपनी जड़ों को मजबूती से आगे ले जाता है

पिपरमेंट की खेती में पहला पानी

पिपरमेंट की खेती में पहला पानी 1 सप्ताह के अंदर लगाया जाता है जिससे खेत में अच्छी तरह से नमी बन जाती है। और खेत की मिट्टी फूल जाती है जिससे जड़ों का तनाव कम पड़ जाता है और पौधा जल्दी हरियाली पकड़ने लगता है।

पिपरमेंट की खेती में दूसरा पानी

पिपरमेंट की खेती में दूसरा पानी 3 सप्ताह में लगाया जाता है और उस पानी के साथ कुछ खादे भी डाली जाती है जैसे कि यूरिया, सल्फर इत्यादि इन सब खादों से पौधा काफी अच्छे से अपनी ग्रोथ को कायम करते हुए आगे बढ़ता है

पिपरमेंट की खेती के लिए तीसरा पानी

पिपरमेंट की खेती में तीसरा पानी चौथे सप्ताह को लगाया जाता है। और पानी को लगाने के बाद उसकी मिट्टी को खुरपी से जोता जाता है। जुताई करने के बाद उसे कई दिनों तक सूखा पड़ा रहने दिया जाता है।

पिपरमेंट की खेती में चौथा पानी।

पिपरमेंट की खेती में चौथा पानी 6 सप्ताह के बाद लगाया जाता है। पानी लगाने के बाद यूरिया खाद का छिड़काव किया जाता है

पिपरमेंट की खेती में पांचवां पानी

पिपरमेंट की खेती में पांचवां पानी 8 सप्ताह के करीब लगाया जाता है l और फिर एक बार खुरपी से जुताई की जाती है जिससे उसके जड़े जल्दी से निकले।

पिपरमेंट की खेती में छठा पानी

पिपरमेंट की खेती में छठा पानी 10 सप्ताह के अंतर्गत लगाया जाता है। जिससे पिपरमिंट में काफी तेजी से वृद्धि होती है और पौधा दमदार हो जाता है।

पिपरमेंट की खेती में सातवां पानी

मेंथा की खेती में सातवां पानी लगभग 12 सप्ताह में लगाया जाता है। और यह पानी पिपरमिंट की खेती में अंतिम पानी की तरह कार्य करता है। और पिपरमिंट पूर्ण रूप से तैयार हो जाती है।

पिपरमेंट की कटाई

पिपरमिंट की कटाई दो बार कर सकते है पहली कटाई 80 से 90 दिन में की जाती है और दूसरी कटाई 70 से 80 दिन में की जाती है। और उसे आसवन विधि से पेर के तेल निकाला जाता है।

पिपरमेंट की खेती में कुल लागत प्रति 1 बीघा

एक बीघा में लगभग 9 किलोग्राम बीज पड़ता है जो की प्रति एक किलोग्राम की कीमत 35 से 40 रुपए होती है। और 30 किलोग्राम यूरिया दो किलोग्राम सल्फर पड़ता है जिसकी कुल लागत 5 से 6 हजार रुपए प्रति एक बीघा में आती है।किसानों का कहना है कि पिपरमेंट की पहली फसल 75 से 90 दिन में तैयार हो जाती है।

पिपरमेंट की खेती में किसान का फायदा

पिपरमेंट की खेती बहुत जल्दी तैयार होने वाली फसल है जो कि आसानी से और कम लागत में तैयार हो जाती है। पिपरमेंट के खेती मे प्रति एक बीघा में 45 से 50 हजार रुपए तक लाभ हो सकता है।क्योंकि पिपरमिंट का तेल 1 हजार से लेकर1.5 हजार रुपए तक बिकता है।

 

 

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