आधुनिक युग में आलू की खेती से किसानों को होगा अंधा लाभ

आलू की खेती मेंआलू एक ऐसी सब्जी है जो भारत में ही नहीं पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। आलू की सब्जी साल में सबसे ज्यादा खाने वाली सब्जी है। क्योंकि आलू भारत में ही नहीं अन्य कई जगहों पर इसकी अच्छी खेती होती है। अगर मुख्य रूप से देखा जाए तो किसानों की मुख्य फसल भी आलू ही होती है। और आलू को स्टोर करने के लिए कई कोल्ड स्टोर यानी ठंडी जगहें भी बनाई गई है जहां आलू सालों साल रखा जा सकता है।

आलू की खेती कैसे करे

आलू की खेती करने के लिए कई बातों का आवश्यक ध्यान रखना पड़ता है। जैसेकि अच्छी जुताई, खाद, पानी और समय समय पर दवाइयों का छिड़काव
आलू की किस्में

आलू की किस्में कई प्रकार की होती है।

  • सूर्या किस्म
  • कोलंबा किस्म
  • सैंटाना किस्म
  • कुफरी पुखराज
  • कुफरी सिंदूरी

इनकी उपज अलग अलग होती है। जैसे सूर्या आलू की किस्म 70 से 90 दिन में तैयारी हो जाती है और कोलंबा आलू की फसल 75 दिन में तैयार हो जाती है इसी समय के बीच ही और भी कई आलू की फैसले तैयार हो जाती है।

आलू की खेती के लिए मिट्टी

  • आलू की खेती के लिए, हल्की बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. यह मिट्टी उपजाऊ होनी चाहिए और इसमें अच्छी जल निकासी की सुविधा होनी चाहिए. आलू की खेती के लिए, मिट्टी की पीएच मान 5.5 से 5.7 के बीच होनी चाहिए.
  • आलू की खेती के लिए मिट्टी समतलीय और माध्यम ऊंचाई वाली मिट्टी होनी चाहिए
  • आलू की खेती के लिए, मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए.
    आलू की खेती के लिए, अनावश्यक खरपतवारों को बाहर कर देना चाहिए.
  • आलू की खेती के लिए, मिट्टी में जैविक पदार्थ की अच्छी मात्रा होनी चाहिए।

आलू की खेती के लिए खाद

आलू की खेती के लिए खाद की अधिक मात्रा में और सामान माध्यम में आवश्यकता होती है। आलू की खेती के लिए प्रति एकड़ 20 से 25 टन देशी गोबर के खाद की आवश्यकता होती है। और बहुत सी ऑर्गेनिक खाद की भी आवश्यकता होती है जैसे DAP (डाय अमोनियम फास्फेट), पोटास, जैविक, यूरिया की हल्की मात्रा,जिंक इत्यादि जैसी खादों का इस्तेमाल किया जाता है।

आलू की बुआई

आलू की खेती

आलू की बुआई अब आधुनिक युग में आधुनिक तरीके से होने लगी है पहले आलू की बुआई अपने हाथों से की जाती थी लेकिन अब आलू की बुआई मशीनों द्वारा की जाती है। जिससे आलू की खेती करने के लिए पहले जैसी मेहनत नहीं करनी पड़ती है और आसानी से बुआई हो जाती है।आलू की अच्छी खेती के लिए प्रति एक बीघा में लगभग 3 क्विंटल बीज डाला जाता है।

आलू की खेती के लिए पानी

आलू में पहला पानी 8 से 10 दिन में लगाना चाहिए। आलू में प्रत्येक पानी हल्का लगाना चाहिए जिससे पानी का रिसाव नहीं होगा तो अलग से नमी नहीं बनेगी। आलू मे यदि पानी ज्यादा भी हो गया तो भी नुक्सान हो सकता है इसलिए आलू की खेती में पानी हल्का लगाया जाता है। और पानी के साथ कुछ आवश्यक खाद भी डाली जाती है जो एग्रीटेक से आप आसानी से ले सकते है। आलू की खेती में लगभग 8 से 9 पानी लगते है जिसमें 8 से 10 या 15 से 20 दिन के अंतराल में पानी लगते है

आलू की खेती के लिए खरपतवार और कीटो का निवारण

आलू की खेती के लिए खरपतवार और कीटो का निवारण हम लोग सीधा एग्रीटेक की दवाइयों के माध्यम से छिंकाव करके करते है। जिससे आलू की खेती में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है।

आलू की खेती की खुदाई

आलू की खुदाई फरवरी महीने के लास्ट से स्टार्ट हो जाती है। और लगभग आधे मार्च तक खुदाई बराबर चलती रहती है।आलू की खुदाई इस आधुनिक युग में आधुनिक तरीके से ही की जाती है जिस प्रकार आलू की बुआई की जाती है उसी प्रकार आलू की खुदाई भी मशीनों द्वारा की जाती है।

आलू को स्टोर करना।

हालांकि आप को पता है। की आलू की सब्जी साल के 12 महीने खाने वाली सब्जी है। और मार्च के बाद गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जाता है। जिसके लिए आलू को स्टोर करने के लिए बहुत से कोल्ड स्टोर भी बनाए गए है। जिसमें किसान अपने आलू को आसानी से स्टोर कर सकता है। और किसी भी सीजन में निकाल कर बेच सकता है

आलू की खेती से किसानों का लाभ प्रति बीघा।

आलू की खेती में किसानों का मोटा लाभ होता है जिसमें किसान की लागत लगभग 10 हजार का खर्चा होता है। और उसी एक बीघा में लगभग 30 हजार के आस पास की फसल तैयार होती है। जिसमें किसान की बचत लगभग 28 से 30 हजार प्रति बीघा की होती है।

 

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